शुभेच्छा : दिवाळी २०११

शुभेच्छा : दिवाळी २०११

तमा नाही अंधाराची
एक पणती लावूदे;
फार वाटते एकटे
हात हातात राहूदे.

इवल्याशा पणतीने
दूर पळतो अंधार;
लढणा-या माणसाला
देते शुभेच्छा आधार.

*श्रीकृष्ण राऊत विशेषांक*

प्रदीर्घ आणि मौलिक मराठी गझललेखनाकरिता बांधण जनप्रतिष्ठानच्या जीवनगौरव पुरस्काराने सन्मानित ज्येष्ठ गझलकार श्रीकृष्ण राऊत यांच्या गझलांविषयी वाचा श्रीकृष्ण राऊत विशेषांक येथे *श्रीकृष्ण राऊत विशेषांक* वाचा

29 December, 2007

मुबारक हो।


सूखी घास के ढेर को शरारा मुबारक हो,
अंधो को रोशनी का नजा़रा मुबारक हो।

किसने उँडेल दी है कालिख आसमाँ पर,
गर्दिश मे डुबता वो सितारा मुबारक हो।

पाँव निकल पडे तो रास्ते अपाहिज हो गये,
लो बैसाखियो का सहारा मुबारक हो।

फूलो के सर क़लम कर दिये पत्तो की धार ने,
अहल-ए-चमन को लहू का फुहारा मुबारक हो।

दो गज़ ज़मीन नसीब हो गयी यही बहुत है,
सिकंदरो को अब जहान सारा मुबारक हो।

6 comments:

Unknown December 30, 2007 at 6:30 AM  

डाक्साब - माला मराठी येत नाय - परन्तु
"आने से आप के गर्म महफ़िल सी हो गई
अहसास में एक और भपारा मुबारक हो
.. इस आगमन को अस्सलाम हमारा मुबारक हो
- लिंक फिर से नीचे लिखा है सादर- manish

http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/story/2007/10/071010_nida_column.shtml

dr.shrikrishna raut January 1, 2008 at 8:00 AM  

भाई मनीष,
आपकी हौसला अफ्जाई का शुक्रिया।

Pankaj Oudhia January 6, 2008 at 9:49 AM  

वाह वाह क्या कहने। आपको पढना अच्छा लगा।

नीरज गोस्वामी January 7, 2008 at 2:05 AM  

ztpeफूलो के सर क़लम कर दिये पत्तो की धार ने,
अहल-ए-चमन को लहू का फुहारा मुबारक हो।
बहुत सुंदर श्री कृष्ण जी...बधाई...
नीरज

dr.shrikrishna raut January 7, 2008 at 10:06 AM  

dard hidustani जी(पंकज अवधिया)
और
नीरज गोस्वामी जी
आपका सराहना
और अच्छा लिखने के लिये
उर्जा प्रदान करता रहेगा ।
बहुत बहुत शुक्रिया।

  © Blogger templates Newspaper III by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP