ग़ज़ल
हर मुश्किल का हल हो जैसे
आज नही तो कल हो जैसे
आबाद हो गयी दिल की दिल्ली
घर छोटासा, महल हो जैसे
मीठी मीठी बाते उसकी
पके आम के फल हो जैसे
सूना सूना लगे भीड मे
शहर नही जंगल हो जैसे
यही ठहरती सुई घडी की
तेरी याद का पल हो जैसे
मेरे ऐब भी प्यारे तुझको
तू माँ का आँचल हो जैसे
आज नही तो कल हो जैसे
आबाद हो गयी दिल की दिल्ली
घर छोटासा, महल हो जैसे
मीठी मीठी बाते उसकी
पके आम के फल हो जैसे
सूना सूना लगे भीड मे
शहर नही जंगल हो जैसे
यही ठहरती सुई घडी की
तेरी याद का पल हो जैसे
मेरे ऐब भी प्यारे तुझको
तू माँ का आँचल हो जैसे
8 comments:
बहुत अच्छी लगी. ख़ास कर के ये :
हर मुश्किल का हल हो जैसे
आज नही तो कल हो जैसे
इस शेर ने मन मोह लिया है राउत साहब. शुक्रिया
यही ठहरती सुई घडी की
तेरी याद का पल हो जैसे
bahut khoosurat alfaaz aur ehsaas se sazi behtareen ghazal.
Neeraj
बहुत खूब वाह
मेरे ऐब भी प्यारे तुझको
तू माँ का आँचल हो जैसे
waah.....khuubsurat panktiyaan...bahut sundar
अच्छे भाव हैं
डाक्साब - सही कहा शहर भी जंगल बने हैं - [ शब्द जोड़ कर यों ले आए, वरदा का परिमल हो जैसे ] rgds - manish
तू माँ का आँचल हो जैसे
...अंतिम पंक्ति वाकई वाह-वाह।
बहुत ही बढिया गजल डा०साहब!
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