छूना है आसमाँ...
घर से चला हूँ अकेला,
संग संग ख्वाबो का मेला.
छूना है आसमाँ...
रंग मुझे दो फूलो अपना,
चित्र बनाऊँ, बुनू सपना;
कोयल देना ऐसा पंचम,
गीत जिंदगी, साँसे सरगम.
छूना है आसमाँ...
पंख लगाके उडे हौसला,
बादल पर मै करू घोसला;
मंजिल पाने के जोश मे
भरलू चंदा आगोश मे.
छूना है आसमाँ...
बात हवा से करता हूँ मै,
बनकर जुगनू फिरता हूँ मै;
होट कली के मै चूमूँगा,
पीकर खुशबू मै झुमूँगा.
छूना है आसमाँ...
सुरज नयनो मे भर लूँगा,
दुनिया रोशन मै कर दूँगा;
खुशी बाँटते आऊँगा मै,
जन्नत नीचे लाऊँगा मै.
छूना है आसमाँ...
1 comments:
बहुत उम्दा!!
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