किशोरदा की याद मे :कांच के गिलास
यह कविता मेरे अजी़ज़ किशोर मोरे-जिन्हे हम किशोरदा कहते थे, उनकी डायरी से ली है।किशोरदा मेरे कॉलेज मे Maths पढाते थे।कविता,शायरी, सिनेमा,संगीत से उनका बडा़ लगाव था। राजकपूर,शंकर-जयकिशन, पु.ल.उनके weakpoints थे।किशोरदा अब इस दुनिया मे नही रहे। यह कविता उनकी बडी प्यारी कविता थी।इस कविता के बारे मे और जानकारी पाठकोसे मिली तो मै उनका आभारी रहूंगा।
कांच के गिलास
हम कोई कांच के गिलास थोडे ही है
कि हाथ से गिरें
और एकदम टूट जायें।
आखिर हम दोस्त है, मेरे यार!
पहले हम एक-दुसरे की
नजरोंसे गिरेंगे
और फिर आहिस्ता-आहिस्ता टूट जायेंगे।
मुझे मालूम है-
ऐसे टूटनेमे तकलीफ तो होगी
पर हम कोई कांच के गिलास थोडे ही है
कि हाथ से गिरें और एकदम टूट जायें।
तुम भी जानते हो
और मै भी
कि कितना मुश्किल होता है
बंद दरवाजे की ओर बार-बार जाना,
आती-जाती सांस के रास्ते मे
दिवार खडी करना
और चौराहे पर खडे रहना-
किसी एक की प्रतिक्षा में।
हम ऐसा नही करेंगे।
हम ऐसा करेंगे
- तुम कहीं और चले जाओगे
मै तुम्हे पत्र लिखुंगा
यहां पर कुशलपूर्वक हूँ।
और आपकी कुशलता श्री भगवानजी से
शुभ चाहता हूँ।
पत्र के उत्तर मे तनिक देरी के लिए
तुम मुझसे माफी मांगोगे।
फिर मै तुम्हारी शादी की सालगिरह पर
कोई छोटा-मोटा गिफ्ट भेजुंगा।
और तुम
पिताजी के अचानक गुजर जाने के गम मे
मुझ से हमदर्दी जतलाओगे।
- फिर मै तुम्हे ईद मुबारक कहुंगा
और तुम मुझे दिवाली की
शुभकामनाए भेजोगे।
ऐसे आहिस्ता-आहिस्ता
३१ दिसंबर की वह ठंडी शाम आयेगी
जब हमारे ग्रिटिंगकार्डस्
किसी डाकघर में अचानक टकरा जायेंगे
और टूट जायेंगे।
मुझे मालूम है-
ऐसे टूटनेमे तकलीफ तो होगी
पर हम कोई कांच के गिलास थोडे ही है
कि हाथ से गिरें और एकदम टूट जायें।
आखिर हम दोस्त है,
मेरे यार!
- अमितोज
- फूलचंद्र मानव
(पंजाबी)
6 comments:
अद्भुत शब्द..लाजवाब भाव...वाह.वा...
नीरज
jee dukhney pe shayaad yun hi kahaa jaataa hai...shukriya RAUT ji....badii hi saadgi hai panktiyon me..baar baar padhney ko mun ho raha hai
पढ़कर अच्छा लगा ,मजा आ गया,धन्यवाद।
बहुत सही भाव लगे इस कविता के ! यहाँ इसे हम सब के साथ बाँटने के लिए धन्यवाद !
बहुत खूब - अच्छा जगाया - मनीष
Srikrishna Ji,
Dada aaj hamarey beechh nahin hain. Phir bhi, unki pasandita chizonko yaad/jatan karke, shayad hum kuchh haad taak unhe mahsoos karley.
Dhannavaad.
Aashay Kishordada Morey
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