शुभेच्छा : दिवाळी २०११

शुभेच्छा : दिवाळी २०११

तमा नाही अंधाराची
एक पणती लावूदे;
फार वाटते एकटे
हात हातात राहूदे.

इवल्याशा पणतीने
दूर पळतो अंधार;
लढणा-या माणसाला
देते शुभेच्छा आधार.

*श्रीकृष्ण राऊत विशेषांक*

प्रदीर्घ आणि मौलिक मराठी गझललेखनाकरिता बांधण जनप्रतिष्ठानच्या जीवनगौरव पुरस्काराने सन्मानित ज्येष्ठ गझलकार श्रीकृष्ण राऊत यांच्या गझलांविषयी वाचा श्रीकृष्ण राऊत विशेषांक येथे *श्रीकृष्ण राऊत विशेषांक* वाचा

21 May, 2008

रोटी के अजगर ने

रोटी के अजगर ने निगली हयात आधी
चबाली उसूलो ने बाकी हयात आधी

आज बाप को लटके देखा बेटी ने जब
दिल के दिल मे गयी लौटके बरात आधी

उसे मनाते पलके बोझल हुई चाँद की
करवट बदले रही जागती जो रात आधी

जुल्फे,रिश्ते,धरम,किताबे नाम कैद के
रिहा हुये तो हरदम पायी निज़ात आधी

भरी जवानी मे ये पड़ते कागज़ पीले
पढ़ते रहती टूटी फूटी दवात आधी

लगे अभी से रोने आँसू आप खून के
अभी सुनाई मैने तो वारदात आधी

4 comments:

Anonymous,  May 21, 2008 at 4:18 AM  

कृष्ण जी आपकी ग़ज़ल पढ़कर मैं आपको अपने भाव नहीं लिख पा रहा हूं। कसम से बहुत अच्छी लिखी है। भगवान करे आप सदा अच्छा लिखते रहें और हम पढ़ते रहें। मेरी शुभकामनाएं आपके साथ।

डॉ .अनुराग May 21, 2008 at 6:51 AM  

आपकी रचना मे वाकई एक दर्द भरी सचाई है....

Udan Tashtari May 21, 2008 at 8:50 AM  

बहुत उम्दा रचना है. बधाई.

dr.shrikrishna raut June 1, 2008 at 11:21 AM  

अनामिक जी,डॉ.अनुराग आर्य जी,उडन तश्तरी जी
आप सबको बहुत बहुत धन्यवाद।

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