शुभेच्छा : दिवाळी २०११

शुभेच्छा : दिवाळी २०११

तमा नाही अंधाराची
एक पणती लावूदे;
फार वाटते एकटे
हात हातात राहूदे.

इवल्याशा पणतीने
दूर पळतो अंधार;
लढणा-या माणसाला
देते शुभेच्छा आधार.

*श्रीकृष्ण राऊत विशेषांक*

प्रदीर्घ आणि मौलिक मराठी गझललेखनाकरिता बांधण जनप्रतिष्ठानच्या जीवनगौरव पुरस्काराने सन्मानित ज्येष्ठ गझलकार श्रीकृष्ण राऊत यांच्या गझलांविषयी वाचा श्रीकृष्ण राऊत विशेषांक येथे *श्रीकृष्ण राऊत विशेषांक* वाचा

25 February, 2009

फूलों को साँस लेने दो



(‘स्लम डॉग मिलेनिअर’ फिल्म के ‘जय हो’ गीत के लिए
‘ऑस्कर २००९’ जितने वाले गुलजा़र साहब को सादर समर्पित.
 ‘गुलोंको साँस लेने दो’-यह रदीफ़ उन्ही की देन है।)

हटाओ काग़ज़ी घूँघट गुलों को साँस लेने दो
बदलती है खुशी करवट गुलों को साँस लेने दो

रहे वे मुस्कुराते तो मिलेंगी ज़िंदगी तुमको
बने ना दिल कभी मरघट गुलों को साँस लेने दो

तुम्हारे साथ गायेंगे,तुम्हारे साथ रोयेंगे
बडे़ अल्हड़,बडे़ नटखट गुलों को साँस लेने दो

हवाओ के लिफ़ाफे़ मे छुपा पैग़ाम खु़शबू का
ज़रा पलको के खोलो पट गुलोंको साँस लेने दो

इन्ही से जान लगती है मकानो मे,किवाडो़ मे
सजाते आपकी  चौखट गुलोंको साँस लेने दो

लुभाती है अदा प्यारी...मगर मेरी ज़रा मानो
हटे रुख़्सार से ये लट गुलों को साँस लेने दो

जहाँ पर बाँसुरी बजती वहाँ ना बंदूके तानो
जमुनाजी का है ये तट गुलों को साँस लेने दो

4 comments:

परमजीत सिहँ बाली February 25, 2009 at 11:59 PM  

अच्छी गज़ल है।बधाई।

Vinay February 26, 2009 at 2:07 AM  

हाँ जी गुल्ज़ार को ऐसा तोहफ़ा ज़रूर पसंद आयेगा!

dr.shrikrishna raut March 6, 2009 at 7:00 AM  

परमजीत बाली जी, विनय जी,
बहोत बहोत शुक्रिया।

Mahesh Savale March 15, 2009 at 7:21 AM  

कागजी घुंघट की बात क्या खुब कही.......शर्म भी भीतर ही भीतर मुस्कुरारही होगी........वा.....आशा है....इसी तरहा से आप के ब्लॉगपर गज़लो की रौनक बनी रहेगी........

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